aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اعجاز"
अभी से पाँव के छाले न देखोअभी यारो सफ़र की इब्तिदा है
मिरी अपनी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये थामुझे बस वो उसे सारा ज़माना चाहिए था
क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारोहम लोग मोहब्बत की कहानी में मरें हैं
जैसे कोई रोता है गले प्यार से लग करकल रात मैं रोया तिरी दीवार से लग कर
मैं उस के ऐब उस को बताता भी किस तरहवो शख़्स आज तक मुझे तन्हा नहीं मिला
बहती हुई आँखों की रवानी में मरे हैंकुछ ख़्वाब मिरे ऐन-जवानी में मरे हैं
कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़नज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है
जैसा मूड हो वैसा मंज़र होता हैमौसम तो इंसान के अंदर होता है
ज़िंदगी दी हिसाब से उस नेऔर ग़म बे-हिसाब लिक्खा है
तालाब तो बरसात में हो जाते हैं कम-ज़र्फ़बाहर कभी आपे से समुंदर नहीं होता
अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती हैदूसरी औरत पहली जैसी कब होती है
ये जो हम लोग हैं एहसास में जलते हुए लोगहम ज़मीं-ज़ाद न होते तो सितारे होते
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई था अगरफिर ये हंगामा मुलाक़ात से पहले क्या था
राह-रौ बच के चल दरख़्तों सेधूप दुश्मन नहीं है साए हैं
आप आए हैं हाल पूछा हैहम ने ऐसे भी ख़्वाब देखे हैं
फ़ितरत के तक़ाज़े कभी बदले नहीं जातेख़ुश्बू है अगर वो तो बिखरना ही पड़ेगा
हज़ारों साल की थी आग मुझ मेंरगड़ने तक मैं इक पत्थर रहा था
क्या जानें उन की चाल में एजाज़ है कि सेहरवो भी उन्हीं से मिल गए जो थे हमारे लोग
इक तेरी तमन्ना ने कुछ ऐसा नवाज़ा हैमाँगी ही नहीं जाती अब कोई दुआ हम से
मुझे इस ख़्वाब ने इक अर्से तक बे-ताब रक्खा हैइक ऊँची छत है और छत पर कोई महताब रक्खा है
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