aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "الجھنا"
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरामैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा
सुब्ह तक रात की ज़ंजीर पिघल जाएगीलोग पागल हैं सितारों से उलझना कैसा
दिखाए पाँच आलम इक पयाम-ए-शौक़ ने मुझ कोउलझना रूठना लड़ना बिगड़ना दूर हो जाना
मुझे तुम से उलझना है किसी दिनबहुत से मसअले सुलझा सकूँगा
कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझामुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है
तमन्नाओं में उलझाया गया हूँखिलौने दे के बहलाया गया हूँ
हम लोग न उलझे हैं न उलझेंगे किसी सेहम को तो हमारा ही गरेबान बहुत है
इस रेंगती हयात का कब तक उठाएँ बारबीमार अब उलझने लगे हैं तबीब से
बस एक मोड़ मिरी ज़िंदगी में आया थाफिर इस के बाद उलझती गई कहानी मेरी
वो मिरी रूह की उलझन का सबब जानता हैजिस्म की प्यास बुझाने पे भी राज़ी निकला
उस के जाने का यक़ीं तो है मगर उलझन में हूँफूल के हाथों से ये ख़ुश-बू जुदा कैसे हुई
उलझा है पाँव यार का ज़ुल्फ़-ए-दराज़ मेंलो आप अपने दाम में सय्याद आ गया
उस ने सुन कर बात मेरी टाल दीउलझनों में और उलझन डाल दी
ज़माने भर से उलझते हैं जिस की जानिब सेअकेले-पन में उसे हम भी क्या नहीं कहते
मुझ को हालात में उलझा हुआ रहने दे यूँहीमैं तिरी ज़ुल्फ़ नहीं हूँ जो सँवर जाऊँगा
उलझती जाती हैं गिर्हें अधूरे लफ़्ज़ों कीहम अपनी बातों के सारे अगर मगर खोलें
दिल का उजड़ना सहल सही बसना सहल नहीं ज़ालिमबस्ती बसना खेल नहीं बसते बसते बस्ती है
तू कभी इस शहर से हो कर गुज़ररास्तों के जाल में उलझा हूँ मैं
इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तोउलझन ही में मर जाएगा बीमार नहीं तो
क्यूँ उलझते हो हर इक बात पे 'बेख़ुद' उन सेतुम भी नादान बने जाते हो नादान के साथ
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