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शेर
मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ वो हर एक ताज़ा पयाम से
कभी आ के मंज़र-ए-आम पर कभी हट के मंज़र-ए-आम से
जिगर मुरादाबादी
शेर
याद क्या आता है वो मेरा लगे जाना और आह
पीछे हट कर उस का ये कहना कोई आ जाएगा