aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بددل"
इतने घने बादल के पीछेकितना तन्हा होगा चाँद
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब कोमर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुलमुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबीतू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गईइक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया
अब तिरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैंकितनी रग़बत थी तिरे नाम से पहले पहले
नए कपड़े बदल कर जाऊँ कहाँ और बाल बनाऊँ किस के लिएवो शख़्स तो शहर ही छोड़ गया मैं बाहर जाऊँ किस के लिए
हम तुम में कल दूरी भी हो सकती हैवज्ह कोई मजबूरी भी हो सकती है
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न थाइस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ीबादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
क्या है जो बदल गई है दुनियामैं भी तो बहुत बदल गया हूँ
ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगावक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा
आओ मिल जाओ कि ये वक़्त न पाओगे कभीमैं भी हम-राह ज़माने के बदल जाऊँगा
चाँद ने तान ली है चादर-ए-अब्रअब वो कपड़े बदल रही होगी
भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चेबेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे
तय्यार थे नमाज़ पे हम सुन के ज़िक्र-ए-हूरजल्वा बुतों का देख के नीयत बदल गई
उसी का ईमाँ बदल गया हैकभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
'सैफ़' अंदाज़-ए-बयाँ रंग बदल देता हैवर्ना दुनिया में कोई बात नई बात नहीं
इक बरस भी अभी नहीं गुज़राकितनी जल्दी बदल गए चेहरे
गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गएसर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया
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