aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بصر"
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
न जी भर के देखा न कुछ बात कीबड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
है नूर-ए-बसर मर्दुमक-ए-दीदा में पिन्हाँ यूँ जैसे कन्हैयासो अश्क के क़तरों से पड़ा खेले है झुरमुट और आँखों में पनघट
सिखा दिया है ज़माने ने बे-बसर रहनाख़बर की आँच में जल कर भी बे-ख़बर रहना
बंद आँखें जब खुलीं तो रौशनी पहचान लीबे-ख़बर हम हों तो हों पर बे-बसर इतने न थे
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीयूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
ज़िंदगी किस तरह बसर होगीदिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने कीजी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मींपाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िलकोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखनाजहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहेजब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिलाअगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भीवो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमीजिस को भी देखना हो कई बार देखना
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहींमुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भीकिसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैंउम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं नेबस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
तुम मोहब्बत को खेल कहते होहम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
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