aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بلی"
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवाराहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनामवो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
मंगल को बजरंग-बली से तेरा शुक्र मनाऊँऔर शुक्र को तू अल्लाह से मेरा मंगल माँगे
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमेंऔर हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
सितारों से आगे जहाँ और भी हैंअभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बसख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने कीजी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी होतुम को देखें कि तुम से बात करें
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोईतू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भीवो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगेअभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत हैऔर तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता
मौत का भी इलाज हो शायदज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देनाहसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भीकिसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों नेलम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं नेबस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
हम को यारों ने याद भी न रखा'जौन' यारों के यार थे हम तो
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत कीमरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
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