aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بوریے"
बोरिए पर बैठने का लुत्फ़ ही कुछ और हैशहरयार-ए-अस्र इस तकिए से क्या ले जाएगा
पेड़ के नीचे ज़रा सी छाँव जो उस को मिलीसो गया मज़दूर तन पर बोरिया ओढ़े हुए
जितने गदा-नवाज़ थे कब के गुज़र चुकेअब क्यूँ बिछाए बैठे हैं हम बोरिया न पूछ
है ख़बर गर्म उन के आने कीआज ही घर में बोरिया न हुआ
मैं एक बोरी में लाया हूँ भर के मूँग-फलीकिसी के साथ दिसम्बर की रात काटनी है
पाँव जब सिमटे तो रस्ते भी हुए तकिया-नशींबोरिया जब तह किया दुनिया उठा कर ले गए
ज़र्फ़-ए-वज़ू है जाम है इक ख़म है इक सुबूइक बोरिया है मैं हूँ मिरी ख़ानक़ाह है
हर एक हद से परे अपना बोरिया ले जाबदी का नाम न ले और नेकियों से निकल
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