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शेर
इफ़्तिख़ार आरिफ़
शेर
बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा
बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा
इस्माइल मेरठी
शेर
घर से निकले हुए बेटों का मुक़द्दर मालूम
माँ के क़दमों में भी जन्नत नहीं मिलने वाली
इफ़्तिख़ार आरिफ़
शेर
वाक़िफ़ नहीं कि पाँव में पड़ती हैं बेड़ियाँ
दूल्हे को ये ख़ुशी है कि मेरी बरात है
लाला माधव राम जौहर
शेर
वक़्त फ़ुर्सत दे तो मिल बैठें कहीं बाहम दो दम
एक मुद्दत से दिलों में हसरत-ए-तरफ़ैन है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शेर
मज़ा बरसात का चाहो तो इन आँखों में आ बैठो
स्याही है सफ़ेदी है शफ़क़ है अब्र-ए-बाराँ है
आरज़ू लखनवी
शेर
कभी दर्द की तमन्ना कभी कोशिश-ए-मुदावा
कभी बिजलियों की ख़्वाहिश कभी फ़िक्र-ए-आशियाना
मुईन अहसन जज़्बी
शेर
बस्तियों में होने को हादसे भी होते हैं
पत्थरों की ज़द पर कुछ आईने भी होते हैं