aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بے_کل"
काँच के टुकड़े चुने मगरतुझ सा वो बे-कल क्या हो
देखिए होगा श्री-कृष्ण का दर्शन क्यूँ-करसीना-ए-तंग में दिल गोपियों का है बेकल
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वालावही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
अच्छे बुरे को वो अभी पहचानते नहींकमसिन हैं भोले-भाले हैं कुछ जानते नहीं
वो मिरे बस को कैसे समझेगाजो मिरी बेबसी को समझा नहीं
बस कर ये ख़याल-आफ़रीनीउस के ही ख़याल में रहा कर
पूजना बुत का है ये क्या मज़मूनऔर तवाफ़-ए-हरम के क्या मअनी
जिए हम रौशनी बन कर हमेशामरे तो मर के भी तारे बनेंगे
बचा के लाएँ किसी भी यतीम बच्चे कोऔर उस के हाथ से तख़लीक़-ए-काइनात करें
रहेगा साथ तिरा प्यार ज़िंदगी बन करये और बात मिरी ज़िंदगी वफ़ा न करे
ग़मों की धूप में मिलते हैं साएबाँ बन करज़मीं पे रहते हैं कुछ लोग आसमाँ बन कर
यूँ सरापा इल्तिजा बन कर मिला था पहले रोज़इतनी जल्दी वो ख़ुदा हो जाएगा सोचा न था
दूसरों के ज़ख़्म बुन कर ओढ़ना आसाँ नहींसब क़बाएँ हेच हैं मेरी रिदा के सामने
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई कीउस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की
चाँद बन कर चमकने वाले नेमुझ को सूरज-मिसाल कर डाला
दुश्मनी मुझ से किए जा मगर अपना बन करजान ले ले मिरी सय्याद मगर प्यार के साथ
मियाँ तुम दोस्त बन कर जो हमारे साथ करते होवही सब कुछ हमारे दुश्मन-ए-जानी भी करते हैं
जो कि सज्दा न करे बुत को मिरे मशरब मेंआक़िबत उस की किसी तौर से महमूद नहीं
मुख़लिस-ओ-हमदर्द बन कर जो करे है रहज़नीउस रफ़ीक़-ए-राह की भी है रिफ़ाक़त ज़लज़ला
ब-ख़ुदा सज्दे करेगा वो बिठा कर बुत कोअब 'हक़ीर' आगे मुसलमान रहे या न रहे
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