aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "تنک"
क़तरा अपना भी हक़ीक़त में है दरिया लेकिनहम को तक़लीद-ए-तुनुक-ज़र्फ़ी-ए-मंसूर नहीं
कितना तनिक सफ़ा है कि पा-ए-निगाह काहल्का सा इक ग़ुबार है चेहरे के रंग पर
बदन तबला हुआ जाता है दुख सेतिनक धिन-धिन तिनक धिन कर रहा हूँ
तनिक ऊधर ही रह ऐ हिर्स-ए-दुनियान दे तकलीफ़ इस गोशा-नशीं को
इक पल में झड़ी अब्र-ए-तुनक-माया की शेख़ीदेखा जो मिरा दीदा-ए-पुर-आब न ठहरा
गुल कूँ ऐ शोख़ मुख तनिक दिखलाकि ख़िज़ाँ कर दिखा दे उस कूँ बहार
तुनुक-मिज़ाज है मलहूज़ यूँ अदब रखनाबहुत सँभल के तुम उस के लबों पे लब रखना
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिनउसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद हैहम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोईतू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आतीमगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
इक रात वो गया था जहाँ बात रोक केअब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूदमहसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हमठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तककौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैंइतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गईहम न सोए रात थक कर सो गई
ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू सेबे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता हैचले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है
हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिनख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक
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