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शेर
मिरी चश्म-ए-तन-आसाँ को बसीरत मिल गई जब से
बहुत जानी हुई सूरत भी पहचानी नहीं जाती
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शेर
ख़ुदा जाने गिरेबाँ किस के हैं और हाथ किस के हैं
अंधेरे में किसी की शक्ल पहचानी नहीं जाती
इक़बाल नवेद
शेर
ये वक़्फ़ा साअ'तों का चंद सदियों के बराबर है
वो अब आवाज़ देते हैं तो पहचानी नहीं जाती
ख़ालिद हसन क़ादिरी
शेर
कई लोगों ने फलते फूलते पेड़ों से जाना है
मगर मैं ने तुझे सब्ज़े की उर्यानी से पहचाना
कलीम हैदर शरर
शेर
न आए तुम न आओ तुम कि अब आने से क्या हासिल
ख़ुद अब तो हम से अपनी शक्ल पहचानी नहीं जाती
ख़ालिद हसन क़ादिरी
शेर
हुजूम-ए-रंज-ओ-ग़म ने इस क़दर मुझ को रुलाया है
कि अब राहत की सूरत मुझ से पहचानी नहीं जाती