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शेर
वक़्त हाकिम है किसी रोज़ दिला ही देगा
दिल के सैलाब-ज़दा शहर पे क़ब्ज़ा मुझ को
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
शेर
ताब-ओ-ताक़त रहे क्या ख़ाक कि आज़ा के तईं
हाकिम-ए-ज़ोफ़ से फ़रमान-ए-तग़ईरी आया
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
किश्वर-ए-दिल अब मकान-ए-दर्द-ओ-दाग़-ओ-यास है
इश्क़ के हाकिम ने बिठलाए हैं याँ थाने कई
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
दिल-ए-बेबाक का मालिक हूँ मुझे ख़ौफ़ नहीं
हाकिम-ए-वक़्त के हुक्म-ए-रसन-ओ-ज़िंदाँ से
ज़ुबैर अहमद सानी
शेर
बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ
कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मिरा इंतिज़ार कर
अल्लामा इक़बाल
शेर
चाँद से तुझ को जो दे निस्बत सो बे-इंसाफ़ है
चाँद के मुँह पर हैं छाईं तेरा मुखड़ा साफ़ है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शेर
मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतिज़ार है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शेर
इतना मैं इंतिज़ार किया उस की राह में
जो रफ़्ता रफ़्ता दिल मिरा बीमार हो गया
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शेर
तन्हाई से आती नहीं दिन रात मुझे नींद
या-रब मिरा हम-ख़्वाब ओ हम-आग़ोश कहाँ है