aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "داس"
ज़माना हुस्न नज़ाकत बला जफ़ा शोख़ीसिमट के आ गए सब आप की अदाओं में
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाएजिस में इंसान को इंसान बनाया जाए
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुईमेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
अज़ल से ता-ब-अबद एक ही कहानी हैइसी से हम को नई दास्ताँ बनानी है
हम न मानेंगे ख़मोशी है तमन्ना का मिज़ाजहाँ भरी बज़्म में वो बोल न पाई होगी
तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहासफ़र न करते हुए भी किसी सफ़र में रहा
चमन का हुस्न समझ कर समेट लाए थेकिसे ख़बर थी कि हर फूल ख़ार निकलेगा
दुनिया तो सीधी है लेकिन दुनिया वालेझूटी सच्ची कह के उसे बहकाते होंगे
अब कोई ढूँड-ढाँड के लाओ नया वजूदइंसान तो बुलंदी-ए-इंसाँ से घट गया
सामना आज अना से होगाबात रखनी है तो सर दे देना
बहार आई गुलों को हँसी नहीं आईकहीं से बू तिरी गुफ़्तार की नहीं आई
हयात लाख हो फ़ानी मगर ये सुन रखिएहयात से जो है मक़्सूद ग़ैर-फ़ानी है
बात अगर न करनी थी क्यूँ चमन में आए थेरंग क्यूँ बिखेरा था फूल क्यूँ खिलाए थे
लिक्खा है तारीख़ के सफ़हे सफ़हे पर येशाहों को भी दास बनाया जा सकता है
ख़िरद ढूँढती रह गई वजह-ए-ग़ममज़ा ग़म का दर्द आश्ना ले गया
लब-ए-ख़िरद से यही बार बार निकलेगानिकालने ही से दिल का ग़ुबार निकलेगा
मैं ने चाहा था कि साग़र तोड़ दूँख़ुद मिरी तौबा के टुकड़े हो गए
जब फ़िकरों पर बादल से मंडलाते होंगेइंसाँ घट कर साए से रह जाते होंगे
सुराग़-ए-मेहर-ओ-मोहब्बत का ढूँडियो न कहींकि उन की राख हवा में बिखेर आया मैं
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमीजिस को भी देखना हो कई बार देखना
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