aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "دیوار"
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मींपाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता हैसर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है
होगा किसी दीवार के साए में पड़ा 'मीर'क्या रब्त मोहब्बत से उस आराम-तलब को
इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए
मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठेमिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले
जो चुप-चाप रहती थी दीवार परवो तस्वीर बातें बनाने लगी
ऐ दोपहर की धूप बता क्या जवाब दूँदीवार पूछती है कि साया किधर गया
क्यूँ माँग रहे हो किसी बारिश की दुआएँतुम अपने शिकस्ता दर-ओ-दीवार तो देखो
रोज़ दीवार में चुन देता हूँ मैं अपनी अनारोज़ वो तोड़ के दीवार निकल आती है
जैसे कोई रोता है गले प्यार से लग करकल रात मैं रोया तिरी दीवार से लग कर
अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरीये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा
तुम तो सर्दी की हसीं धूप का चेहरा हो जिसेदेखते रहते हैं दीवार से जाते हुए हम
दो घड़ी उस से रहो दूर तो यूँ लगता हैजिस तरह साया-ए-दीवार से दीवार जुदा
मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूँजिस तरह साया-ए-दीवार पे दीवार गिरे
तेरे ख़याल के दीवार-ओ-दर बनाते हैंहम अपने घर में भी तेरा ही घर बनाते हैं
इक दीवार पे चाँद टिका थामैं ये समझा तुम बैठे हो
एक दीवार उठाई थी बड़ी उजलत मेंवही दीवार गिराने में बहुत देर लगी
साए हैं अगर हम तो हो क्यूँ हम से गुरेज़ाँदीवार अगर हैं तो गिरा क्यूँ नहीं देते
इन का उठना नहीं है हश्र से कमघर की दीवार बाप का साया
रोक सकता हमें ज़िंदान-ए-बला क्या 'मजरूह'हम तो आवाज़ हैं दीवार से छन जाते हैं
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