aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سبی"
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हमतू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सहीनहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सहीतुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँवगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने
हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसेवो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैंहम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैंनाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
नशा पिला के गिराना तो सब को आता हैमज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहींदबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है
उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम कियादेखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया
शाम से आँख में नमी सी हैआज फिर आप की कमी सी है
मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखाउस को छुट्टी न मिले जिस को सबक़ याद रहे
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछभूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगातिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा
अब नहीं कोई बात ख़तरे कीअब सभी को सभी से ख़तरा है
दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्तादिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
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