aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سرفراز"
बाप ज़ीना है जो ले जाता है ऊँचाई तकमाँ दुआ है जो सदा साया-फ़िगन रहती है
मोहब्बत आम सा इक वाक़िआ' थाहमारे साथ पेश आने से पहले
उस से कह दो कि मुझे उस से नहीं मिलना हैवो है मसरूफ़ तो बे-कार नहीं हूँ मैं भी
इस गए साल बड़े ज़ुल्म हुए हैं मुझ परऐ नए साल मसीहा की तरह मिल मुझ से
रौनक़-ए-बज़्म नहीं था कोई तुझ से पहलेरौनक़-ए-बज़्म तिरे बा'द नहीं है कोई
लम्हा इतनी गुंजाइश रखता है ख़ुद मेंआप उस में आने से पहले जा सकते हैं
दिल जो टूटा है तो फिर याद नहीं है कोईइस ख़राबे में अब आबाद नहीं है कोई
आइने में कहीं गुम हो गई सूरत मेरीमुझ से मिलती ही नहीं शक्ल-ओ-शबाहत मेरी
बे-सदा सी किसी आवाज़ के पीछे पीछेचलते चलते मैं बहुत दूर निकल जाता हूँ
आँसू नहीं बना सो हम नेउजलत में क़हक़हा बनाया
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब कोकि जैसे भी हों बच्चे माँ को प्यारे एक जैसे हैं
कुछ मह-जबीं लिबास के फैशन की दौड़ मेंपाबंदी-ए-लिबास से आगे निकल गए
ईद पर मसरूर हैं दोनों मियाँ बीवी बहुतइक ख़रीदारी से पहले इक ख़रीदारी के ब'अद
पैरों से बाँध लेता हूँ पिछली मसाफ़तेंतन्हा किसी सफ़र पे निकलता नहीं हूँ मैं
कुएँ की सम्त बुला ले न कोई ख़्वाब मुझेमैं अपने बाप का सब से हसीन बेटा हूँ
उसी के ख़्वाब थे सारे उसी को सौंप दिएसो वो भी जीत गया और मैं भी हारा नहीं
ख़ुदा करे कि वही बात उस के दिल में होजो बात कहने की हिम्मत जुटा रहा हूँ मैं
मिरे हमराह क्यूँ वो शख़्स चलना चाहता हैसफ़र के जोश में क्या आगही गुम हो गई है
अभी मियान में तलवार मत रखो अपनीअभी तो शहर में इक बे-क़ुसूर बाक़ी है
अपने ही साए से हर गाम लरज़ जाता हूँमुझ से तय ही नहीं होती है मसाफ़त मेरी
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