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शेर
दुनिया-दारी तो क्या आती दामन सीना सीख लिया
मरने के थे लाख बहाने फिर भी जीना सीख लिया
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
शेर
नज़ाकत है बहुत इस में मगर ये जानता हूँ मैं
मोहब्बत जिस को हो जाती है उर्दू सीख जाता है
ओबैद आज़म आज़मी
शेर
निगाह-ए-यार मिल जाती तो हम शागिर्द हो जाते
ज़रा ये सीख लेते दिल के ले लेने का ढब क्या है