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शेर
ज़िंदगी पर इस से बढ़ कर तंज़ क्या होगा 'फ़राज़'
उस का ये कहना कि तू शाएर है दीवाना नहीं
अहमद फ़राज़
शेर
वली काकोरवी
शेर
कोई भूका जो फ़र्त-ए-ज़ोफ़ से कुछ लड़खड़ा जाए
तो दुनिया तंज़ कसती है उसे मद-मस्त कहती है
ज़मीर अतरौलवी
शेर
क्या ख़बर थी कि मुझे इस ने जकड़ लेना है
मैं उदासी पे बहुत तंज़ किया करता था