aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "عباس"
ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिनलोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
जिस से पूछें तिरे बारे में यही कहता हैख़ूबसूरत है वफ़ादार नहीं हो सकता
मुद्दत के बाद ख़्वाब में आया था मेरा बापऔर उस ने मुझ से इतना कहा ख़ुश रहा करो
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंसजो तअल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं
मेरे कमरे में उदासी है क़यामत की मगरएक तस्वीर पुरानी सी हँसा करती है
मसरूफ़ हैं कुछ इतने कि हम कार-ए-मोहब्बतआग़ाज़ तो कर लेते हैं जारी नहीं रखते
हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकारइक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है
चाँद-चेहरे मुझे अच्छे तो बहुत लगते हैंइश्क़ मैं उस से करूँगा जिसे उर्दू आए
अगर यूँही मुझे रक्खा गया अकेले मेंबरामद और कोई इस मकान से होगा
मेरे सीने से ज़रा कान लगा कर देखोसाँस चलती है कि ज़ंजीर-ज़नी होती है
झोंके के साथ छत गई दस्तक के साथ दर गयाताज़ा हवा के शौक़ में मेरा तो सारा घर गया
तलब करें तो ये आँखें भी इन को दे दूँ मैंमगर ये लोग इन आँखों के ख़्वाब माँगते हैं
कभी सहर तो कभी शाम ले गया मुझ सेतुम्हारा दर्द कई काम ले गया मुझ से
एक मोहब्बत और वो भी नाकाम मोहब्बतलेकिन इस से काम चलाया जा सकता है
तुम माँग रहे हो मिरे दिल से मिरी ख़्वाहिशबच्चा तो कभी अपने खिलौने नहीं देता
मैं उसे देख के लौटा हूँ तो क्या देखता हूँशहर का शहर मुझे देखने आया हुआ है
मैं जिस सुकून से बैठा हूँ इस किनारे परसुकूँ से लगता है मेरा क़याम आख़िरी है
मोहब्बतें तो फ़क़त इंतिहाएँ माँगती हैंमोहब्बतों में भला ए'तिदाल क्या करना
मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देतीये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता
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