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शेर
ये ग़म नहीं कि मुझ को जागना पड़ा है उम्र भर
ये रंज है कि मेरे सारे ख़्वाब कोई ले गया
अज़ीज़ तमन्नाई
शेर
कुछ एहतिराम भी कर ग़म की वज़्अ'-दारी का
गिराँ है अर्ज़-ए-तमन्ना तो बार बार न कर