aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "منظور"
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रबमेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता हैवही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है
क़ुबूल कैसे करूँ उन का फ़ैसला कि ये लोगमिरे ख़िलाफ़ ही मेरा बयान माँगते हैं
चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल हैजो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है
देखोगे तो हर मोड़ पे मिल जाएँगी लाशेंढूँडोगे तो इस शहर में क़ातिल न मिलेगा
यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता हैहवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है
जिस ने इस दौर के इंसान किए हैं पैदावही मेरा भी ख़ुदा हो मुझे मंज़ूर नहीं
सुना है सच्ची हो नीयत तो राह खुलती हैचलो सफ़र न करें कम से कम इरादा करें
ख़्वाब का रिश्ता हक़ीक़त से न जोड़ा जाएआईना है इसे पत्थर से न तोड़ा जाए
कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने परबहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है
उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोयाजिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था
दरिया के तलातुम से तो बच सकती है कश्तीकश्ती में तलातुम हो तो साहिल न मिलेगा
जो और कुछ हो तिरी दीद के सिवा मंज़ूरतो मुझ पे ख़्वाहिश-ए-जन्नत हराम हो जाए
मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक़ है रज़ा तेरीमगर टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता आहिस्ता
इक ज़माना है हवाओं की तरफ़मैं चराग़ों की तरफ़ हो जाऊँ
हम को हरगिज़ नहीं ख़ुदा मंज़ूरया'नी हम बे-तरह ख़ुदा के हैं
अजीब दर्द का रिश्ता है सारी दुनिया मेंकहीं हो जलता मकाँ अपना घर लगे है मुझे
कुछ मोहब्बत को न था चैन से रखना मंज़ूरऔर कुछ उन की इनायात ने जीने न दिया
माँग कर तुझ से ख़ुशी लूँ मुझे मंज़ूर नहींकिस का माँगी हुई दौलत से भला होता है
शहर के आईन में ये मद भी लिक्खी जाएगीज़िंदा रहना है तो क़ातिल की सिफ़ारिश चाहिए
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