aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "مہربان"
आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबानभूले तो यूँ कि गोया कभी आश्ना न थे
न करो अब निबाह की बातेंतुम को ऐ मेहरबान देख लिया
लोग दुश्मन हुए उसी के 'शकेब'काम जिस मेहरबान से निकला
वो मेहरबान नहीं है तो फिर ख़फ़ा होगाकोई तो राब्ता उस को बहाल रखना है
बराए-नाम सही कोई मेहरबान तो हैहमारे सर पे भी होने को आसमान तो है
सब पे तू मेहरबान है प्यारेकुछ हमारा भी ध्यान है प्यारे
अज़ल से था वो हमारे वजूद का हिस्सावो एक शख़्स कि जो हम पे मेहरबान हुआ
हम से जो आगे गए कितने मेहरबान थेदूर तलक राह में एक भी पत्थर न था
करम है मुझ पे किसी और के जलाने कोवो शख़्स मुझ पे कोई मेहरबान थोड़ी है
लिया है दिल ही फ़क़त और जान बाक़ी हैअभी तो काम तुम्हें मेहरबान बाक़ी है
आज कुछ मेहरबान है सय्यादक्या नशेमन भी हो गया बर्बाद
सड़क के पार चला जा रहा है बचता हुआकिसी का हाथ कोई मेहरबान थामे हुए
करता रहा वो मुझ पे सदा मेहरबानियाँकुछ और ढूँढती रही मैं मेहरबान में
दश्त-ए-ग़ुर्बत में हम-सफ़र न बनाहम कई मेहरबान छोड़ आए
सितम भी मुझ पे वो करता रहा करम की तरहवो मेहरबाँ तो न था मेहरबान जैसा था
वो तीर छोड़ा हुआ तो उसी कमान का थाअगरचे हाथ किसी और मेहरबान का था
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहींदोस्तों की मेहरबानी चाहिए
हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताबपढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने
न जाना कि दुनिया से जाता है कोईबहुत देर की मेहरबाँ आते आते
मुझ को थकने नहीं देता ये ज़रूरत का पहाड़मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते
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