aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نو"
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
किसी को साल-ए-नौ की क्या मुबारकबाद दी जाएकैलन्डर के बदलने से मुक़द्दर कब बदलता है
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दियावर्ना हम भी आदमी थे काम के
माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी
न जी भर के देखा न कुछ बात कीबड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
ये किस ने फ़ोन पे दी साल-ए-नौ की तहनियत मुझ कोतमन्ना रक़्स करती है तख़य्युल गुनगुनाता है
अस्र-ए-नौ मुझ को निगाहों मैं छुपा कर रख लेएक मिटती हुई तहज़ीब का सरमाया हूँ
दुल्हन बनी हुई हैं राहेंजश्न मनाओ साल-ए-नौ के
तेरे बिन घड़ियाँ गिनी हैं रात दिननौ बरस ग्यारह महीने सात दिन
लगा रहा हूँ मज़ामीन-ऐ-नौ के फिर अम्बारख़बर करो मेरे ख़िरमन के ख़ोशा-चीनों को
अब के बार मिल के यूँ साल-ए-नौ मनाएँगेरंजिशें भुला कर हम नफ़रतें मिटाएँगे
ऐ इंक़लाब-ए-नौ तिरी रफ़्तार देख करख़ुद हम भी सोचते हैं कि अब तक कहाँ रहे
साल-ए-नौ आता है तो महफ़ूज़ कर लेता हूँ मैंकुछ पुराने से कैलन्डर ज़ेहन की दीवार पर
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदालड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
बहार-ए-नौ की फिर है आमद आमदचमन उजड़ा कोई फिर हम-नफ़स क्या
मैं कि एक मेहनत-कश मैं कि तीरगी-दुश्मनसुब्ह-ए-नौ इबारत है मेरे मुस्कुराने से
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमेंऔर हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
सख़्त बीवी को शिकायत है जवान-ए-नौ सेरेल चलती नहीं गिर जाता है पहले सिगनल
किस की होली जश्न-ए-नौ-रोज़ी है आजसुर्ख़ मय से साक़िया दस्तार रंग
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