aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "پارسائی"
एक काफ़िर पर तबीअत आ गईपारसाई पर भी आफ़त आ गई
हज़ारों तमन्नाओं के ख़ूँ से हम नेख़रीदी है इक तोहमत-ए-पारसाई
दिखाऊँगा तुझे ज़ाहिद उस आफ़त-ए-दीं कोख़लल दिमाग़ में तेरे है पारसाई का
उठा हिजाब तो बस दीन-ओ-दिल दिए ही बनीजनाब-ए-शैख़ को दावा था पारसाई का
धूम थी अपनी पारसाई कीकी भी और किस से आश्नाई की
पारसाई की जवाँ-मर्गी न पूछतौबा करनी थी कि बदली छा गई
जबीन-ए-पारसा को देख कर ईमाँ लरज़ता हैमआ'ज़-अल्लाह कि क्या अंजाम है इस पारसाई का
शैख़-जी आया न मस्जिद में वो काफ़िर वर्ना हमपूछते तुम से कि अब वो पारसाई क्या हुई
तू उस निगाह से पी वक़्त-ए-मय-कशी 'ताबाँ'की जिस निगाह पे क़ुर्बान पारसाई हो
अंधेरे कमरे में रक़्स करती रहेगी वहशतऔर एक कोने में पारसाई पड़ी रहेगी
मुझे पारसाई का दा'वा नहीं हैफ़रिश्ता नहीं मैं निरा आदमी हूँ
पारसाई का तुझे 'रोहित' मिलेगा क्या समरकहते हैं दुनिया जिसे सदियों से बे-तरतीब है
हम से रिंदों को मिला है मय-कदाशैख़ जी को पारसाई मिल गई
किसी का अहद-ए-जवानी में पारसा होनाक़सम ख़ुदा की ये तौहीन है जवानी की
ज़िंदगी पर भी कोई ज़ोर नहींदिल ने हर चीज़ पराई दी है
कोई है मस्त कोई तिश्ना-काम है साक़ीये मय-कदे का तिरे क्या निज़ाम है साक़ी
मैं जानता हूँ मुझे मुझ से माँगने वालेपराई चीज़ का जो लोग हाल करते हैं
दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर क्या होजानता कौन है पराई चोट
खुल गया उन की आरज़ू में ये राज़ज़ीस्त अपनी नहीं पराई है
जो हो सका न मिरा उस को भूल जाऊँ मैंपराई आग में क्यूँ उँगलियाँ जलाऊँ मैं
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