aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "پچاس"
तुम सलामत रहो हज़ार बरसहर बरस के हों दिन पचास हज़ार
पचास मील है ख़ुश्की से बहरिया-टाउनबस एक घंटे में अच्छा ज़माना आता है
सब यार सोचते थे रहेगा वही समाँइक मैं ही बस बचा हूँ कोई सौ पचास में
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो हैक्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी कोमैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को
तुम मिरे पास होते हो गोयाजब कोई दूसरा नहीं होता
वो मुझ को छोड़ के जिस आदमी के पास गयाबराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने परजो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं हैरिश्ता ही मिरी प्यास का पानी से नहीं है
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीकजिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा
फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ मेंमिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी
मैं आँधियों के पास तलाश-ए-सबा में हूँतुम मुझ से पूछते हो मिरा हौसला है क्या
जाने जो करे क़ौल न पूरा करे हर काम अधूरा यही दिन-रात तसव्वुर है कि नाहक़उसे चाहा जो न आए न बुलाए न कभी पास बिठाए न रुख़-ए-साफ़ दिखाए न कोई
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गयाख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मिरे पास रह गया
तुम उस के पास हो जिस को तुम्हारी चाह न थीकहाँ पे प्यास थी दरिया कहाँ बनाया गया
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आयाबस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
तू अगर पास नहीं है कहीं मौजूद तो हैतेरे होने से बड़े काम हमारे निकले
न कोई रंज का लम्हा किसी के पास आएख़ुदा करे कि नया साल सब को रास आए
हो दूर इस तरह कि तिरा ग़म जुदा न होपास आ तो यूँ कि जैसे कभी तू मिला न हो
सारी दुनिया से दूर हो जाएजो ज़रा तेरे पास हो बैठे
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