aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "چراتیاں"
कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिएकहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए
ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँकि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ न लेहू काहे लगाए छतियाँ
चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल झील सबाचुराईं सब ने ही कुछ कुछ शबाहतें तेरी
यूँ चुराईं उस ने आँखें सादगी तो देखिएबज़्म में गोया मिरी जानिब इशारा कर दिया
होने दो चराग़ाँ महलों में क्या हम को अगर दीवाली हैमज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम मज़दूर की दुनिया काली है
बुझते हुए चराग़ फ़रोज़ाँ करेंगे हमतुम आओगे तो जश्न-ए-चराग़ाँ करेंगे हम
प्यार की जोत से घर घर है चराग़ाँ वर्नाएक भी शम्अ न रौशन हो हवा के डर से
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुएजोश-ए-क़दह से बज़्म चराग़ाँ किए हुए
इस जश्न-ए-चराग़ाँ से तो बेहतर थे अँधेरेइन झूटे चराग़ों को बुझा क्यूँ नहीं देते
ये एहतिमाम-ए-चराग़ाँ बजा सही लेकिनसहर तो हो नहीं सकती दिए जलाने से
गर मिरे दिल को चुराया नहीं तू ने ज़ालिमखोल दे बंद हथेली को दिखा हाथों को
दिल जो टूटेगा तो इक तरफ़ा चराग़ाँ होगाकितने आईनों में वो शक्ल दिखाई देगी
ये दिल-फ़रेब चराग़ाँ ये क़हक़हों के हुजूममैं डर रहा हूँ अब इस शहर से गुज़रते हुए
सूरज के उजाले में चराग़ाँ नहीं मुमकिनसूरज को बुझा दो कि ज़मीं जश्न मनाए
किसी किसी को थमाता है चाबियाँ घर कीख़ुदा हर एक को अपना पता नहीं देता
कुछ और बढ़ गई है अंधेरों की ज़िंदगीयूँ भी हुआ है जश्न-ए-चराग़ाँ कभी कभी
अब कैसे चराग़ क्या चराग़ाँजब सारा वजूद जल रहा है
आओ तो मेरे सहन में हो जाए रौशनीमुद्दत गुज़र गई है चराग़ाँ किए हुए
रोज़-ओ-शब याँ एक सी है रौशनीदिल के दाग़ों का चराग़ाँ और है
अपने ही दम से चराग़ाँ है वगरना 'आफ़्ताब'इक सितारा भी मिरी वीरान शामों में नहीं
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