aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "چھو"
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वालामैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा
बदन के दोनों किनारों से जल रहा हूँ मैंकि छू रहा हूँ तुझे और पिघल रहा हूँ मैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कल जिन्हें छू नहीं सकती थी फ़रिश्तों की नज़रआज वो रौनक़-ए-बाज़ार नज़र आते हैं
तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखामुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा
दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसीज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलोधड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
उस के लहजे में बर्फ़ थी लेकिनछू के देखा तो हाथ जलने लगे
वो जिन के ज़िक्र से रगों में दौड़ती थीं बिजलियाँउन्हीं का हाथ हम ने छू के देखा कितना सर्द है
उस ने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान कियामुद्दतों बअ'द मिरी आँखों में आँसू आए
मैं उस को पूज तो सकता हूँ छू नहीं सकताजो फ़ासलों की तरह मेरे साथ रहता है
मेरे हालात ने यूँ कर दिया पत्थर मुझ कोदेखने वालों ने देखा भी न छू कर मुझ को
उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकताजिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आँखें
हुस्न कहता था छेड़ने वालेछेड़ना ही तो बस नहीं छू भी
वो हज़ार दुश्मन-ए-जाँ सही मुझे फिर भी ग़ैर अज़ीज़ हैजिसे ख़ाक-ए-पा तिरी छू गई वो बुरा भी हो तो बुरा नहीं
मोम की सीढ़ी पे चढ़ कर छू रहे थे आफ़्ताबफूल से चेहरों को ये कोशिश बहुत महँगी पड़ी
हम ने भी निगाहों से उन्हें छू ही लिया हैआईने का रुख़ जब वो इधर करते रहे हैं
आप छू देखें किसी ग़ुंचे को अपने हाथ सेग़ुंचा गुल हो जाएगा और गुल चमन हो जाएगा
वो कि ख़ुशबू की तरह फैला था मेरे चार-सूमैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था
अपने एहसास से छू कर मुझे संदल कर दोमैं कि सदियों से अधूरा हूँ मुकम्मल कर दो
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