aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ڈاکٹر"
इन को क्या काम है मुरव्वत से अपनी रुख़ से ये मुँह न मोड़ेंगेजान शायद फ़रिश्ते छोड़ भी दें डॉक्टर फ़ीस को न छोड़ेंगे
तुम्हें हमेशा ज़रूरत पकड़ के लाती हैकभी तो आओ मिरे घर मिरे हवाले से
यही जम्हूरियत का नक़्स है जो तख्त-ए-शाही परकभी मक्कार बैठे हैं कभी ग़द्दार बैठे हैं
रेत बन कर मिरी मुट्ठी से फिसल जाती हैअब मोहब्बत भी सँभाली नहीं जाती मुझ से
इन को क्या काम है मुरव्वत से अपनी रुख़ से ये मुँह न मोड़ेंगेजान शायद फ़रिश्ते छोड़ भी दें डॉक्टर फ़ीस को न छोड़ेंगे
ऐ ज़िंदगी तू मिरे हौसले की दाद तो देमैं उठ के रोज़ नया दिन गले लगाता हूँ
नींद आती ही नहीं थी आगही के दर्द सेमौत ने आग़ोश में ले कर सुलाया है मुझे
मैं ख़ुद को भी नहीं इतना मयस्सरवो सौ फ़ीसद तवज्जोह चाहता है
तुम से अब मेरा त'अल्लुक़ सिर्फ़ इतना है कि बसरोज़ मौसम देख लेता हूँ तुम्हारे शहर का
अपने दुश्मन को भी मोहब्बत देइश्क़ के दाएरे को वुसअ'त दे
आप सीने में छुपाते हैं मोहब्बत अपनीहम को दीवार के पीछे भी नज़र आता है
न जाने कौन सी ग़ुर्बत है मेरी आँखों मेंकि उस बदन में ख़ज़ाने तलाश करता हूँ
मैं आंधियों से लड़ा था इस ए'तिमाद के साथदरख़्त टूट भी जाए तो काम आता है
जाँच लेती हैं मोहब्बत की निगाहें पल मेंनाप ले कर तो स्वेटर नहीं बुनते जानाँ
एक दो घोंट में कर डालेगा ख़ाली तुम कोतुम जो दरिया हो तो सहरा से न टक्कर लेना
मस्त हसीन लोगों में ढूँडिए वफ़ादारीख़ुशनुमा दरख़्तों पर फल नहीं लगा करते
तमाम शहर ही जोगी समझ रहा है मुझेतुम्हारे ध्यान की माला गले में क्या पहनी
तिरी गिरफ़्त मिरा मर्तबा बढ़ाती हैमुझे तू अपनी मोहब्बत में मुब्तला रखना
ख़्वाब सच्चा हो तो मुबहम नहीं रहता 'आतिर'दिल वो यूसुफ़ है कि ता'बीर बता देता है
मैं अपनी ज़ात में ख़ुद से झगड़ता रहता हूँवो चाहता है रहूँ उस की हुक्मरानी में
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books