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शेर
देख तू यार-ए-बादा-कश मैं ने भी काम क्या किया
दे के कबाब-ए-दिल तुझे हक़्क़-ए-नमक अदा किया
शाह नसीर
शेर
शराब लाओ कबाब लाओ हमारे दिल को न अब घटाओ
शुरूअ दूद-ए-क़दह हो जल्दी कि सर पे अब्र-ए-बहार आया
शाह नसीर
शेर
फ़िलफ़िल-ए-ख़ाल-ए-मलाहत के तसव्वुर में तिरे
चरचराहट है कबाब-ए-दिल-ए-बिरयान में क्या
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
शेर
एक चराग़ और एक किताब और एक उम्मीद असासा
उस के बा'द तो जो कुछ है वो सब अफ़्साना है