aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "گردانا"
नशा पिला के गिराना तो सब को आता हैमज़ा तो जब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना हैदर्द दिल का लिबास होता है
मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूँजिस तरह साया-ए-दीवार पे दीवार गिरे
इधर फ़लक को है ज़िद बिजलियाँ गिराने कीउधर हमें भी है धुन आशियाँ बनाने की
इस तरह होश गँवाना भी कोई बात नहींऔर यूँ होश से रहने में भी नादानी है
ये है कि झुकाता है मुख़ालिफ़ की भी गर्दनसुन लो कि कोई शय नहीं एहसान से बेहतर
आता है यहाँ सब को बुलंदी से गिरानावो लोग कहाँ हैं कि जो गिरतों को उठाएँ
सब पे जिस बार ने गिरानी कीउस को ये ना-तवाँ उठा लाया
हम गर्दिश-ए-गिर्दाब-ए-अलम से नहीं डरतेतूफ़ाँ है अगर आज किनारा भी तो होगा
गुल-दान में गुलाब की कलियाँ महक उठींकुर्सी ने उस को देख के आग़ोश वा किया
बुलंदी के लिए बस अपनी ही नज़रों से गिरना थाहमारी कम-नसीबी हम में कुछ ग़ैरत ज़ियादा थी
चराग़ों का घराना चल रहा हैहवा से दोस्ताना चल रहा है
जब चली अपनों की गर्दन पर चलीचूम लूँ मुँह आप की तलवार का
नाख़ुदा देख रहा है कि मैं गिर्दाब में हूँऔर जो पुल पे खड़े लोग हैं अख़बार से हैं
गर्दन झुकी हुई है उठाते नहीं हैं सरडर है उन्हें निगाह लड़ेगी निगाह से
हाथ दोनों मिरी गर्दन में हमाइल कीजेऔर ग़ैरों को दिखा दीजे अँगूठा अपना
भरे हों आँख में आँसू ख़मीदा गर्दन होतो ख़ामुशी को भी इज़हार-ए-मुद्दआ कहिए
वो जो गर्दन झुकाए बैठे हैंहश्र क्या क्या उठाए बैठे हैं
ख़ुदा का शुक्र है गिर्दाब से निकल आयामैं उस के हल्क़ा-ए-अहबाब से निकल आया
तुम उस को बुलंदी से गिराने में लगे होतुम उस को निगाहों से गिरा क्यूँ नहीं देते
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