aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "گولا"
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोईतू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भीवो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
ज़िंदगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझे
आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबानभूले तो यूँ कि गोया कभी आश्ना न थे
तुम मिरे पास होते हो गोयाजब कोई दूसरा नहीं होता
ढूँडता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने आप कोआप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिलाकी एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए
तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गयाइतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा करमज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते
न पाक होगा कभी हुस्न ओ इश्क़ का झगड़ावो क़िस्सा है ये कि जिस का कोई गवाह नहीं
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल काबस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का
सादिक़ हूँ अपने क़ौल का 'ग़ालिब' ख़ुदा गवाहकहता हूँ सच कि झूट की आदत नहीं मुझे
इन चराग़ों में तेल ही कम थाक्यूँ गिला फिर हमें हवा से रहे
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ कि तमाशा न बनेतू समझता है मुझे तुझ से गिला कुछ भी नहीं
अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझेक्या कहा मैं ने आप क्या समझे
उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने सेकभी गोया किसी में थी ही नहीं
जाते हुए कहते हो क़यामत को मिलेंगेक्या ख़ूब क़यामत का है गोया कोई दिन और
जब तवक़्क़ो ही उठ गई 'ग़ालिब'क्यूँ किसी का गिला करे कोई
मैं तुझ से साथ भी तो उम्र भर का चाहता थासो अब तुझ से गिला भी उम्र भर का हो गया है
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