aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "گگن"
ज़मीन प्यासी है बूढ़ा गगन भी भूका हैमैं अपने अहद के क़िस्से तमाम लिखता हूँ
हर शय को ज़मीं अपनी तरफ़ खींच रही हैकब आता है धरती पे गगन देखते रहना
गुनाह गिन के मैं क्यूँ अपने दिल को छोटा करूँसुना है तेरे करम का कोई हिसाब नहीं
गिन रहा हूँ हर्फ़ उन के अहद केमुझ को धोका दे रही है याद क्या
उम्र भर जिस के लिए पेट से बाँधे पत्थरअब वो गिन गिन के खिलाता है निवाले मुझ को
बोसे हैं बे-हिसाब हर दिन केवा'दे क्यूँ टालते हो गिन गिन के
ये समझ कर फ़क़ीरी ही में है ख़ुदागुन हमेशा फ़क़ीरों के गाते रहे
घर से निकला था ख़ुद-कुशी करनेरेल के डब्बे गिन रहा हूँ मैं
मैं बढ़ते बढ़ते किसी रोज़ तुझ को छू लेताकि गिन के रख दिए तू ने मिरी मजाल के दिन
आया था मेरे पास वो कुछ देर के लिएसूरज मगर गहन में बहुत देर तक रहा
हुआ यक़ीं कि ज़मीं पर है आज चाँद-गहनवो माह चेहरे पे जब डाल कर नक़ाब आया
मैं संतरी हूँ औरतों की जेल का हुज़ूरदो-चार क़ैदी इस लिए कम गिन रहा हूँ मैं
आ गया याद उन्हें अपने किसी ग़म का हिसाबहँसने वालों ने मिरे अश्क जो गिन के देखे
मैं गिन रहा था शुआ'ओं के बे कफ़न लाशेउतर रही थी शब-ए-ग़म शफ़क़ के ज़ीने से
हमारी साँसें मिली हैं गिन केन जाने कितने बजे हैं दिन के
गालियाँ दीं उस ने बे-गिनती हमेंहम ने बोसे भी तो गिन गिन के लिए
गहन से चाँद निकलता है किस तरह देखेंनक़ाब को रुख़-ए-रौशन से खोल-खाल के फेंक
बर-सर-ए-आम इक़रार अगर ना-मुम्किन है तो यूँही सहीकम-अज़-कम इदराक तो कर ले गुन बे-शक मत मान मिरे
कब तक इन आवारा मौजों का तमाशा देखनागिन चुके हो साअतों के तार तो वापस चलो
उँगली पे गिन रहा हूँ सभी दोस्तों के नामलेकिन तुम्हारे नाम पे अहद गिन रहा हूँ मैं
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