aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "अम्बर"
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनामवो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
मुश्किल को समझने का वसीला निकल आतातुम बात तो करते कोई रस्ता निकल आता
उसे मैं क्यूँ मोहब्बत से न देखूँवो मेरा पहला पहला प्यार ठहरा
मैं जोड़ तो देता तिरी तस्वीर के टुकड़ेमुश्किल था कि वो पहला सा चेहरा निकल आता
हर इक नदी से कड़ी प्यास ले के वो गुज़राये और बात कि वो ख़ुद भी एक दरिया था
ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हामगर वही तो बहुत कामयाब चेहरा था
वो अब भी दिल दुखा देता है मेरावो मेरा दोस्त है दुश्मन नहीं है
तुम्हारे साथ रहने के लिए भीहमें कोई बहाना चाहिए अब
उस ने पूछा है क्या मोहब्बत हैअब भला क्या जवाब दूँ उस को
एक दिन लौट कर मैं आउँगाहो सके इंतिज़ार कर लेना
क्या भरोसा ज़िंदगी का हम करेंआज हम में जान है कल हो न हो
वो मिरे साथ यूँ रहा जैसेकाटता हो कोई सज़ा जैसे
बाहर सारे मैदाँ जीत चुका था वोघर लौटा तो पल भर में ही टूटा था
मेरा कर्ब मिरी तन्हाई की ज़ीनतमैं चेहरों के जंगल का सन्नाटा हूँ
तेरा अफ़्साना छेड़ कर कोईआज जागेगा रात-भर कोई
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैंअपनी दुनिया में तो बस दीवारें ही ज़ंजीरें हैं
तोड़ कर वा'दा जा नहीं सकतावो मिरा दिल दुखा नहीं सकता
ये कह के उस ने गुल किया शम-ए-मज़ार कोजब सो गए तो क्या है ज़रूरत चराग़ की
ख़्वाब आँसू एहतजाजी ज़िंदगीपूछिए मत शहर-ए-कलकत्ता है क्या
सर-ए-महफ़िल मैं क्यूँ ख़ामोश रह करसभी लोगों के तेवर देखता हूँ
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