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शेर
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
शेर
अभी रक्खा रहने दो ताक़ पर यूँही आफ़्ताब का आइना
कि अभी तो मेरी निगाह में वही मेरा माह-ए-तमाम है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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अभी रक्खा रहने दो ताक़ पर यूँही आफ़्ताब का आइना
कि अभी तो मेरी निगाह में वही मेरा माह-ए-तमाम है