aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "आवारगी"
ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझहम अपने शहर में होते तो घर गए होते
सौ मिलीं ज़िंदगी से सौग़ातेंहम को आवारगी ही रास आई
बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजीसलीक़ा चाहिए आवारगी में
होंटों को रोज़ इक नए दरिया की आरज़ूले जाएगी ये प्यास की आवारगी कहाँ
याद के ख़ुशनुमा जज़ीरों मेंदिल की आवारगी सी रहती है
लोगो भला इस शहर में कैसे जिएँगे हम जहाँहो जुर्म तन्हा सोचना लेकिन सज़ा आवारगी
आप के जाते ही हम को लग गई आवारगीआप के जाते ही हम से घर नहीं देखा गया
लुत्फ़ तो देती है ये आवारगीफिर भी हम को लौट जाना चाहिए
मिरी आवारगी ही मेरे होने की अलामत हैमुझे फिर इस सफ़र के ब'अद भी कोई सफ़र देना
तू बू-ए-गुल है और परेशाँ हुआ हूँ मैंदोनों में एक रिश्ता-ए-आवारगी तो है
लाएगी गर्दिश में तुझ को भी मिरी आवारगीकू-ब-कू मैं हूँ तो तू भी दर-ब-दर हो जाएगा
मेरी आवारगी के क़दम चूम कररक़्स करती रही रहगुज़र देर तक
न अब वो शिद्दत-ए-आवारगी न वहशत-ए-दिलहमारे नाम की कुछ और शोहरतें भी गईं
उसे ठहरा सको इतनी भी तो वुसअत नहीं घर मेंये सब कुछ जान कर आवारगी से चाहते क्या हो
हम को आवारगी किस दश्त में लाई है कि अबकोई इम्काँ ही नहीं लौट के घर जाने का
अजीब फ़ुर्सत-ए-आवारगी मिली है मुझेबिछड़ के तुझ से ज़माने का डर नहीं है कोई
हमारी मुफ़्लिसी आवारगी पे तुम को हैरत क्यूँहमारे पास जो कुछ है वो सौग़ातें तुम्हारी हैं
दिल कब आवारगी को भूला हैख़ाक अगर हो गया बगूला है
ज़ेहन की आवारगी को भी पनाहें चाहिएयूँ न शम्ओं को किसी दहलीज़ पर रख कर बुझा
फैलती जा रही है ये दुनियाजश्न-ए-आवारगी मनाने में
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