aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "इख़्तिताम"
मैं सोचता हूँ मगर याद कुछ नहीं आताकि इख़्तिताम कहाँ ख़्वाब के सफ़र का हुआ
रस्ते का इंतिख़ाब ज़रूरी सा हो गयाअब इख़्तिताम-ए-बाब ज़रूरी सा हो गया
रात अब अपने इख़्तिताम पे हैएहतिरामन दिए बुझा दीजे
एक ही शख़्स इब्तिदा है मिरीएक ही शख़्स इख़्तिताम मिरा
कोई तुम सा भी काश तुम को मिलेमुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है
हुस्न को शर्मसार करना हीइश्क़ का इंतिक़ाम होता है
मुझे पसंद नहीं ऐसे कारोबार में हूँये जब्र है कि मैं ख़ुद अपने इख़्तियार में हूँ
ये और बात कि आँधी हमारे बस में नहींमगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है
उन्हीं के फ़ैज़ से बाज़ार-ए-अक़्ल रौशन हैजो गाह गाह जुनूँ इख़्तियार करते रहे
जब कि पहलू से यार उठता हैदर्द बे-इख़्तियार उठता है
हम ने तो ख़ुद से इंतिक़ाम लियातुम ने क्या सोच कर मोहब्बत की
ख़्वाबों पर इख़्तियार न यादों पे ज़ोर हैकब ज़िंदगी गुज़ारी है अपने हिसाब में
अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलेंरहबर से अपनी राह जुदा कर चुके हैं हम
अपनी नाकामियों पे आख़िर-ए-कारमुस्कुराना तो इख़्तियार में है
मैं ज़ख़्म खा के गिरा था कि थाम उस ने लियामुआफ़ कर के मुझे इंतिक़ाम उस ने लिया
कह तो सकता हूँ मगर मजबूर कर सकता नहींइख़्तियार अपनी जगह है बेबसी अपनी जगह
घड़ी घड़ी न इधर देखिए कि दिल पे मुझेहै इख़्तियार पर इतना भी इख़्तियार नहीं
ज़ोर क़िस्मत पे चल नहीं सकताख़ामुशी इख़्तियार करता हूँ
जब उन्हें देखो प्यार आता हैऔर बे-इख़्तियार आता है
सख़्त काफ़िर था जिन ने पहले 'मीर'मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया
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