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शेर
गरचे है तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल पर्दा-दार-ए-राज़-ए-इश्क़
पर हम ऐसे खोए जाते हैं कि वो पा जाए है
मिर्ज़ा ग़ालिब
शेर
जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊर आ जाता है
साहिर लुधियानवी
शेर
बज़्म-ए-फ़लक में कौन है उस की रा'नाई का महरम-ए-राज़
किस को अपने दामन-ए-दिल के दाग़ दिखाएगा महताब