आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "क़द्द-ओ-क़ामत"
शेर के संबंधित परिणाम "क़द्द-ओ-क़ामत"
शेर
रिज़्वानुल्लाह
शेर
देखा है ये परछाईं की दुनिया में कि अक्सर
अपने क़द-ओ-क़ामत से भी कुछ लोग बड़े हैं
अख़्तर होशियारपुरी
शेर
मतीन नियाज़ी
शेर
कुफ्र-ओ-इस्लाम में तौलें जो हक़ीक़त तेरी
बुत-कदा क्या कि हरम संग-ए-तराज़ू हो जाए
मुनीर शिकोहाबादी
शेर
जब भी मिले वो ना-गहाँ झूम उठे हैं क़ल्ब ओ जाँ
मिलने में लुत्फ़ है अगर मिलना हो काम के बग़ैर
कृष्ण मोहन
शेर
हुजूम-ए-रंज-ओ-ग़म ने इस क़दर मुझ को रुलाया है
कि अब राहत की सूरत मुझ से पहचानी नहीं जाती