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शेर
जब उस बे-मेहर को ऐ जज़्ब-ए-दिल कुछ जोश आता है
मह-ए-नौ की तरह खोले हुए आग़ोश आता है
वज़ीर अली सबा लखनवी
शेर
देख ये जज़्ब-ए-मोहब्बत का करिश्मा तो नहीं
कल जो तेरे दिल में था वो आज मेरे दिल में है
सरवर आलम राज़
शेर
ये मेरे जज़्ब-ए-निहाँ का है मोजज़ा शायद
कि दिल में झाँक के देखूँ तो तू ही तू निकले
ख़ावर लुधियानवी
शेर
इब्न-ए-इंशा
शेर
चुभेंगे ज़ीरा-हा-ए-शीशा-ए-दिल दस्त-ए-नाज़ुक में
सँभल कर हाथ डाला कीजिए मेरे गरेबाँ पर
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
किस तरह कर दिया दिल-ए-नाज़ुक को चूर-चूर
इस वाक़िआ' की ख़ाक है पत्थर को इत्तिलाअ'