aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ख़रीद"
वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरामैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
अब हम भी सोचते हैं कि बाज़ार गर्म हैअपना ज़मीर बेच के दुनिया ख़रीद लें
फिर इस के ब'अद ये बाज़ार-ए-दिल नहीं लगनाख़रीद लीजिए साहिब ग़ुलाम आख़िरी है
किसी ने मोल न पूछा दिल-ए-शिकस्ता काकोई ख़रीद के टूटा पियाला क्या करता
याद और उन की याद की अल्लाह-रे मह्वियतजैसे तमाम उम्र की फ़ुर्सत ख़रीद ली
जब तक बिका न था तो कोई पूछता न थातू ने ख़रीद कर मुझे अनमोल कर दिया
दो चार दिन के ज़ुल्म नहीं हैं यज़ीद केपीते हैं लोग आज भी पानी ख़रीद के
वो एक ख़्वाब में मेरे क़रीब आए अगरमैं सारे शहर की नींदें ख़रीद सकता हूँ
गए थे नक़्द-ए-गिराँ-माया-ए-ख़ुलूस के साथख़रीद लाए हैं सस्ती अदावतें क्या क्या
बाज़ार-ए-आरज़ू में कटी जा रही है उम्रहम को ख़रीद ले वो ख़रीदार चाहिए
मुझे ख़रीद रहे हैं मिरे सभी अपनेमैं बिक तो जाऊँ मगर सामने तो आए कोई
फटे पुराने बदन से किसे ख़रीद सकूँसजे हैं काँच के पैकर बड़ी दुकानों में
अना-परस्त हूँ मिल जाऊँ ख़ाक में लेकिनख़रीद सकता नहीं कोई माल ज़र से मुझे
अब उस को लोग सितारा-शनास कहते हैंदुकाँ ख़रीद ली तोते की फ़ाल वाले ने
अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैंकोई जो पूछे तो कह दूँगा उस ने भेजे हैं
हम ने तो बाज़ार में दुनिया बेची और ख़रीदी हैहम को क्या मालूम किसी को कैसे चाहा जाता है
हज़ारों तमन्नाओं के ख़ूँ से हम नेख़रीदी है इक तोहमत-ए-पारसाई
ग़म अपने ही अश्कों का ख़रीदा हुआ हैदिल अपनी ही हालत का तमाशाई है देखो
कोई ख़ुश हो कि ख़फ़ा हो 'हैरत'हम तो हर बात खरी कहते हैं
ईमान बेचने पे हैं अब सब तुले हुएलेकिन ख़रीदो हो जो अलीगढ़ के भाव से
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