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शेर
साफ़ दिल हो गर है तुझ कूँ ख़्वाहिश-ए-तर्क-ए-हवा
आब-ए-आईना उपर आता नहीं हरगिज़ हबाब
मिर्ज़ा दाऊद बेग
शेर
'तस्कीं' ने नाम ले के तिरा वक़्त-ए-मर्ग आह
क्या जाने क्या कहा था किसी ने सुना नहीं
मीर तस्कीन देहलवी
शेर
आए थे क्यूँ अदम से क्या कर चले जहाँ में
ये मर्ग-ओ-ज़ीस्त दोनों आपस में हस्तियाँ हैं