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शेर
फ़रेब-ए-माह-ओ-अंजुम से निकल जाएँ तो अच्छा है
ज़रा सूरज ने करवट ली ये तारे डूब जाएँगे
अली अकबर अब्बास
शेर
तिरे फ़िराक़ की सदियाँ तिरे विसाल के पल
शुमार-ए-उम्र में ये माह ओ साल से कुछ हैं
अमजद इस्लाम अमजद
शेर
कौन है जो इतने सन्नाटे में है महव-ए-सफ़र
दश्त-ए-शब में ये ग़ुबार-ए-माह-ओ-अंजुम किस लिए
ज़िया फ़ारूक़ी
शेर
'बशीर' अब गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर की याद बाक़ी है
कहाँ तक साथ दे सकते ज़मीन-ओ-आसमाँ अपना
बशीरून्निसा बेगम बशीर
शेर
बरसों गुल-ए-ख़ुर्शीद ओ गुल-ए-माह को देखा
ताज़ा कोई दिखलाए हमें चर्ख़-ए-कुहन फूल