आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ग़रीब"
शेर के संबंधित परिणाम "ग़रीब"
शेर
मैं तमाम तारे उठा उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ
वो जो एक रात को आसमाँ का निज़ाम दे मिरे हाथ में
बशीर बद्र
शेर
कहूँ तो किस से कहूँ अपना दर्द-ए-दिल मैं ग़रीब
न आश्ना न मुसाहिब न हम-नशीं कोई