aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "चरागाह-ए-ग़ज़ालाँ"
जला है दश्त-ए-तसव्वुर कहाँ कहाँ टपकातुम्हारी चश्म-ए-ग़ज़ालाँ से बूँद बूँद आँसू
लैला का सियह ख़ेमा या आँख है हिरनों कीये शाख़-ए-ग़ज़ालाँ है या नाला-ए-मज्नूँ है
दिल से आख़िर चराग़-ए-वस्ल बुझाक्या तमन्ना ने इंतिक़ाम लिया
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अंधेरा हैज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अंधेरा है
चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सहीजला के अपना दिया रौशनी मकान में ला
चराग़-ए-इल्म रौशन-दिल है तेराअंधेरा कर दिया है रौशनी ने
विसाल-ए-यार की ख़्वाहिश में अक्सरचराग़-ए-शाम से पहले जला हूँ
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूरचराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है!
ज़माना याद करे या सबा करे ख़ामोशहम इक चराग़-ए-मोहब्बत जलाए जाते हैं
दिन लगे हैं ये रात को मेरीचश्म-ए-आहू चराग़-ए-सहरा है
'मुनव्वर' मैं ने जब दिल पर नज़र कीमुनव्वर इक चराग़-ए-तूर देखा
हमारी ज़िंदगी-ओ-मौत की हो तुम रौनक़चराग़-ए-बज़्म भी हो और चराग़-ए-फ़न भी हो
दिलों की आग बढ़ाओ कि लोग कहते हैंचराग़-ए-हुस्न से रौशन जहाँ नहीं होता
बुझाऊँ क्या चराग़-ए-सुब्ह-गाहीमिरे घर शाम होनी है सहर से
दुनिया में अंधेरों के सिवा और रहा क्याइक तेरी तमन्ना सो चराग़-ए-सहरी है
चलते रहे हम तुंद हवाओं के मुक़ाबिल'आज़ाद' चराग़-ए-तह-ए-दामाँ न रहे हम
जहाँ है शे'र चराग़-ए-जुनूँ जलाए हुएवहाँ खड़ी है ख़िरद अपना सर झुकाए हुए
ये दिल-फ़रेब चराग़ाँ ये क़हक़हों के हुजूममैं डर रहा हूँ अब इस शहर से गुज़रते हुए
क्या ख़बर थी सुब्ह हो जाएगी तेरे नूर सेशाम से मेरा चराग़-ए-ख़ाना रुख़्सत माँगता
ये मेरी तीरा-नसीबी ये सादगी ये फ़रेबगिरी जो बर्क़ मैं समझा चराग़-ए-ख़ाना मिला
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