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शेर
क़ासिद है तू ख़ुदा का अगर चिट्ठियाँ ही बाँट
उन चिट्ठियों पे तो लिखा अपना पता न देख
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
शेर
जगाने चुटकियाँ लेने सताने कौन आता है
ये छुप कर ख़्वाब में अल्लाह जाने कौन आता है
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
जमे क्या पाँव मेरे ख़ाना-ए-दिल में क़नाअ'त का
जिगर में चुटकियाँ लेता है नाख़ुन दस्त-ए-हाजत का
असद अली ख़ान क़लक़
शेर
जा जो इक दिन मिल गई पहलू में शोख़ी देखियो
चुटकियाँ ले ले में नीला कर दिया पहलू-ए-दोस्त
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
तक रहा है ये कोई सोने की चिड़िया आ फँसे
दाम-ए-सुब्हा ले के ज़ाहिद गिर्या-ए-मिस्कीं की तरह
ताबाँ अब्दुल हई
शेर
बंद महरम के वो खुलवातें हैं हम से बेशतर
आज-कल सोने की चिड़िया है हमारे हाथ में