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शेर
'फ़ितरत' दिल-ए-कौनैन की धड़कन तो ज़रा सुन
ये हज़रत-ए-इंसाँ ही की अज़्मत का बयाँ है
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
शेर
ज़मीं से अहल-ए-फ़लक को पयाम-ए-नज़्ज़ारा
नक़ाब-ए-आरिज़-ए-फ़ितरत की जुम्बिश-ए-पैहम
इज़हार मलीहाबादी
शेर
ये मस्लक अपना अपना है ये फ़ितरत अपनी अपनी है
जलाओ आशियाँ तुम हम करेंगे आशियाँ पैदा
मयकश अकबराबादी
शेर
दिल को होना है फ़ना रहना है क़ाएम अक़्ल को
हस्ती-ए-आदम कहाँ जाए ये फ़ितरत छोड़ कर
प्रियंवदा इल्हान
शेर
ये फ़ितरत का तक़ाज़ा था कि चाहा ख़ूब-रूओं को
जो करते आए हैं इंसाँ न करते हम तो क्या करते
तिलोकचंद महरूम
शेर
'ज़हीर'-ए-ख़स्ता-जाँ सच है मोहब्बत कुछ बुरी शय है
मजाज़ी में हक़ीक़ी के हुए हैं इम्तिहाँ क्या क्या