आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ज़िंदगी-ए-क़फ़स"
शेर के संबंधित परिणाम "ज़िंदगी-ए-क़फ़स"
शेर
ये हसरत रह गई क्या क्या मज़े से ज़िंदगी करते
अगर होता चमन अपना गुल अपना बाग़बाँ अपना
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
शेर
मुद्दतें क़ैद में गुज़रीं मगर अब तक सय्याद
हम असीरान-ए-क़फ़स ताज़ा गिरफ़्तार से हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
शेर
सब हम-सफ़ीर छोड़ के तन्हा चले गए
कुंज-ए-क़फ़स में मुझ को गिरफ़्तार देख कर
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
शेर
ख़ुदा जाने अजल को पहले किस पर रहम आएगा
गिरफ़्तार-ए-क़फ़स पर या गिरफ़्तार-ए-नशेमन पर
यगाना चंगेज़ी
शेर
कुंज-ए-क़फ़स ही जिस का मुक़द्दर हुआ 'जमील'
उस की नज़र में दौर-ए-ख़िज़ाँ क्या बहार क्या
जमील अज़ीमाबादी
शेर
असीरान-ए-क़फ़स पर ज़ुल्म तो सय्याद करते हैं
कि उन के पर कतर लेते हैं तब आज़ाद करते हैं