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शेर
''जो भी आवे है वो नज़दीक ही बैठे है तिरे''
शीशा-ए-चश्म में किस किस को उतारा हुआ है
हसन शाहनवाज़ ज़ैदी
शेर
एज़ाज़ अहमद आज़र
शेर
जो जी में आवे तो टुक झाँक अपने दिल की तरफ़
कि उस तरफ़ को इधर से भी राह निकले है