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शेर
इब्तिदा-ए-इश्क़ है लुत्फ़-ए-शबाब आने को है
सब्र रुख़्सत हो रहा है इज़्तिराब आने को है
फ़ानी बदायुनी
शेर
बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले
हिसाब होता रहेगा या रब हमें मँगा दे शराब पहले
अख़्तर शीरानी
शेर
असर सहबाई
शेर
क्या ख़ूब ‘बर्क़’ तू ने दिखाया है ज़ोर-ए-तब्अ
काग़ज़ पे रख दिया है कलेजा निकाल के