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शेर
तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँ
छूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ
साग़र आज़मी
शेर
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मिरी तन्हाई की
क़तील शिफ़ाई
शेर
आले रज़ा रज़ा
शेर
ख़ुदा भी जब न हो मालूम तब जानो मिटी हस्ती
फ़ना का क्या मज़ा जब तक ख़ुदा मालूम होता है
मुज़्तर ख़ैराबादी
शेर
तुम को चाहें भी और ग़ैर के साथ भी देखें
तुम क्या जानो इश्क़ की क्या क्या लाचारी है
रिज़्वाना बानो इक़रा
शेर
अनीस अंसारी
शेर
ये भोग भी एक तपस्या है तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचियता का होगा रचना को अगर ठुकराओगे
साहिर लुधियानवी
शेर
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं